The Greatest Guide To kismat ka upay
The Greatest Guide To kismat ka upay
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ईश् निंदा कभी भी न करें और किसी को भी कभी तीर्थस्थान की यात्रा करने से न रोकें.
ऐसा करने से आपके जीवन में शुक्र और चंद्र ग्रह का अच्छा प्रभाव पड़ेगा. जिस कारण आपके घर में सुख, समृद्धि का वास होगा.
शनि यंत्र को घर में भी लगाएं और अपने पर्स में भी रखें, ये आत्मविश्वास बढ़ाता है
३. शुक्र्वार की रात को सवा किलो काले चने भिगो दें ! दूसरे दिन शनिवार को उन्हें सरसों के तेल में बना लें ! उसके तीन हिस्से कर लें ! उसमें से एक हिस्सा घोडे या भैंसे को खिला दें !
कर्म और भाग्य यदि समानांतर चलें तो इंसान रंक से राजा भी बन सकता है. कई बार ऐसा होता है कि अथक परिश्रम करने के बावजूद भाग्य आपका साथ नहीं देता है जिस कारण आप मनमुताबिक सफलता नहीं हासिल कर पाते हैं. लेकिन अगर आप अपने भाग्य को चमकाना चाहते हैं तो अपनाएं ज्योतिष के ये नियम और बन जाएं मुकद्दर के सिकंदर.
दीवारों की मोटाई : इस बात का भी विशेष ध्यान रहे कि घर की दक्षिण और पश्चिम में स्थित दीवारें और बाउंड्री उत्तर और पूर्व की तरफ की दीवारों से ऊंची और मोटी होना चाहिए।
कुंडली में भाग्य- कुंडली में नवम भाग को ज्योतिष में भाग्य और लाल किताब में धर्मी भाव माना जाता है। नवम भाव का स्वामी गुरु होता है जिसे नवमेश या भाग्येश कहते हैं। मतलब यह कि आपकी कुंडली में नवम भाव और नवमेश शुभ नहीं है, तो उन पर शुभ ग्रहों का प्रभाव नहीं है या सोए हुए हैं तो आपको जीवनभर संघर्ष ही करते रहना होगा।
इसे उत्तर या उत्तरपूर्व की ओर रखें। यदि कोई मछली मर जाए तो उसको निकाल कर नई मछली लाकर उसमें डाल दें।
जन्म नक्षत्र का व्यक्तित्व पर प्रभाव
वायव्य दिशा का वास्तु
पीलिया
* मिथुन राशि के जातक माँस, मदिरा आदि का बिलकुल भी सेवन न करें ।घर में मछली ना पालें। इस राशि के जातक स्त्रियों को पूर्ण सम्मान दें, अपनी माता को पूर्ण आदर सत्कार दें और छोटी कन्याओं को खुश करके उनका आशीर्वाद लें।
लाल किताब के अनुसार गुरु यदि छठे, सातवें, आठवें और दसवें घर में है तो वह अशुभ फल देगा। अत: कम से कम इस भाग में बैठे गुरु के उपाय तो करना ही चाहिए। दूसरा यह कि यदि गुरु नवम भाव में बैठे हैं तो सावधानी रखना जरूरी होती है अन्यथा व्यक्ति अपने जागे हुए भाग्य को अपने कर्मों से सुला देता है। तो करें ये उपाय।
अर्थात पानी टप–टप टपकता न हो ! और आग पर रखा दूध या चाय उबलनी website नहीं चाहिये ! वरना आमदनी से ज्यादा खर्च होने की सम्भावना रह्ती है !